आतंकी बोले – ‘भारत से बदला लिया, बांग्लादेश में हसीना को दिया अलविदा

अजमल शाह
अजमल शाह

पाकिस्तान के कुख्यात आतंकी हाफिज सईद और उसके संगठन जमात-उद-दावा के बड़े नेताओं ने खुलेआम माना कि उन्होंने बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराई है। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज के सीनियर नेताओं सैफुल्लाह कसूरी और मुजम्मिल हाशमी ने अपने भाषणों में साफ कहा कि यह भारत से 1971 का बदला है। ऐसा बोलना बिल्कुल वैसा ही है जैसे स्कूल में टीचर से सीधे कह देना, “मैं तुम्हें पढ़ाई में फेल करवाऊंगा।”

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‘हमने 1971 का बदला ले लिया’ — जहर भरे ज़ुबानी बयान

मुजम्मिल हाशमी ने संयुक्त राष्ट्र में भी आतंकवादी घोषित होने के बावजूद अपने भाषण में बांग्लादेश में भारत को हराने का दावा किया। सैफुल्लाह कसूरी ने भी रहीम यार खान की रैली में अपने बचपन की यादों को झाड़ते हुए बताया कि कैसे उन्होंने ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ को खलीज में डुबो दिया, यानी भारत के खिलाफ पूरी रणनीति बना डाली।

आईएसआई का काला खेल: शेख हसीना की सरकार गिराने की गुप्त साजिश

आईएसआई ने जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन ‘इस्लामी छात्र शिविर’ के ज़रिए बांग्लादेश में अशांति फैलाई। जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन इस साजिश के हिस्से थे। शेख हसीना के खिलाफ हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) जैसे आतंकी गुट भी इस खेल में शामिल थे। असल में आईएसआई बांग्लादेश में ‘तालिबानी टाइप’ सरकार लाना चाहता था, ताकि भारत की परेशानी बढ़े।

2024 का ड्रामा: छात्र आंदोलन या आतंकी प्रदर्शन?

2024 में नौकरी कोटा प्रणाली के विरोध में शुरू हुए छात्र आंदोलन का इस्तेमाल आईएसआई ने हसीना सरकार को गिराने के लिए किया। यह विरोध जल्द ही हिंसक सरकार-विरोधी प्रदर्शन में बदल गया, जिसके बाद हसीना को 5 अगस्त को इस्तीफा देना पड़ा। मानो क्रिकेट में पेनल्टी किक लगाकर मैच हार जाना।

इतिहास गवाह: 2004 के ग्रेनेड हमले से लेकर अब तक

यह पहली बार नहीं कि पाकिस्तान ने शेख हसीना को निशाना बनाया हो। 2004 में हुए ग्रेनेड हमले का मकसद भी हसीना की हत्या करना था। उस हमले से जुड़े पाकिस्तानी आतंकवादी अबू यूसुफ भट ने भी कबूल किया था कि यह साजिश अवामी लीग को कमजोर करने की थी, क्योंकि हसीना भारत और बांग्लादेश में आतंकवाद के खिलाफ खड़ी थीं।

पाकिस्तान की साज़िश भारत और बांग्लादेश के लिए खतरा

शेख हसीना की सरकार भारत के लिए एक मजबूत साझेदार थी, जिसने पाकिस्तान के विस्तारवाद को चुनौती दी। लेकिन आईएसआई और उसके आतंकवादी संगठन इस साझेदारी को तोड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। बांग्लादेश में तालिबानी सरकार लाकर वे भारत की पीठ में छुरा घोंपना चाहते हैं।

आखिरकार, आतंकी सरगनाओं के खुलेआम इस साजिश को स्वीकारने से यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान में बैठे लोग भारत के खिलाफ अपने जहर भरे एजेंडे को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

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